Sunday 15 September 2019

अपनी अपनी खुशी

यह समाज की रिवायते तो मेरी समझ से बाहर है ,
कोई दर्द देखकर खुश होता है तो कोई दर्द खरीद कर ,
क्यों आए हैं इस दुनिया में हम यह भी कहा जानते हैं ,
फिर भी कोई साथ निभाता है अपनी खुशियां बेचकर ,
दिल की दुनिया भी बड़ी अजीब होती है यारों ,
पल भर को सोती भी है तो यारों की खुशियां खरीद कर,
 मत करना किसी को भी कभी भी रुसवा जमाने,
 तू तो जालिम है ही पर वह मर जाएंगे दर्द में सिमटकर ,
परिस्थिति चाहे कैसी भी हो खुश रहना सीख ले ,
वरना हम तुझे वजह देंगे खुश होने की तेरे आंसू खरीद कर ,
तू खुश रहना हमेशा तेरी दुनिया में हमारा क्या है ,
हम तो जी लेंगे तेरे बिना तेरी यादों में हंसकर ।।।

           - " फुल "


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