Sunday 22 September 2019

" मेरे अल्फाज "

" मेरे पास यादों का पिटारा है ,
जिसमें कुछ अपनों का ,
तो कुछ सपनों का बसेरा है "

" गुजर चली है यह जिंदगी जैसे बहता पानी ,
सोचा था बहुत कुछ ,
पर न कर सके थोड़ी सी भी मनमानी ,
न करना अफसोस के ,
वक्त यूं ही बह रहा है ,
मौके और भी मिलेंगे ,
फिर काहे की आनाकानी "

" मिल जाते हैं कुछ अनजान लोग यूं ही ,
मानो जैसे बरसों से जानते हो ,
ना कोई उम्मीद ना कोई ख्वाहिश ,
बस चंद लम्हों में ही सिमट जाते  हो "

" यह अल्फाज मेरी भी कहां सुनते हैं ,
जब भी तेरे बारे में लिखने की कोशिश करती हूं ,
खुद-ब-खुद उभर आते हैं "

         - " फुल "
 

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