Thursday 22 August 2019

" एहसास "

तेरी हर एक लहर ऐसे उछल रही है ,
जैसे उसे किनारे का इंतजार हो पर ,
किनारा भी देख कैसा मजबूर है अपनी बेबसी पर ,
लौटती हुई हर लहर के साथ बढ़ रहा उसका भी दर्द है ,
फिर भी चुपचाप देख रहा है सब कुछ मायूस होकर ,
न बोल सकता है और न कुछ सह सकता है ,
सदियों से खामोश सब ऐसे ही चल रहा है ,
काश कोई लहर आकर थम जाए किसी किनारे पर ,
नामुमकिन भी मुमकिन हो जाए अगर तेरा साथ हो ,
रहमतों - करम से ही तेरा दीदार पाए हम वरना ,
सदियों तक हमारे मुकद्दर में बस ऐसे ही इंतजार हो ,
मत कर हमारे साथ ऐसा मेरे मालिक थोड़ा सा तो रहम हो ,
जिंदगी कट जाए आसानी से अगर चंद बातें खुद से रोज हो।।।

                   - " फुल "
         
                    

No comments:

Post a Comment

' મારૂ હ્રદય '

હું તને શું સમજાવું તું બધું જ સમજે છે , ઈશ્વરની મરજી સામે આપણું ક્યાં કંઈ ઊપજે છે , અકળ આ હ્રદયના દ્વાર ક્યાં બધા માટે ખુલે છે , એક તાર...