Thursday, 8 August 2019

" जिंदगी "

तुझे सवारने के चक्कर में ही रोज तुझसे ही बेवफाई कर रही हूं ,
माफ कर दे ऐ जिंदगी तेरे लिए तेरे बाद वक्त मांग रही हूं ,
रोज कितना कुछ सोचती हूं तेरे ही बारे में पर क्या करूं ,
फिर भी लगता है जैसे बिना कुछ किए ही तेरे लिए रो रही हूं ,
तू चली ही जा रही है अपनी ही रफ्तार में और मैं ,
अपने पैरों में बेड़ियां लिए फिर भी तेरे साथ चली ही जा रही हूं ,
आज तक तूने जो कुछ भी दिया मुझको अपने दामन से ,
उन सबको गले से लगा कर मैं तो जिए ही जा रही हूं ,
मुझे ऐसे ही जीने में मजा आ रहा है जिंदगी ,
फिर भी तकदीर से कुछ ना कुछ मांगती ही जा रही हूं ,
पर आज से नहीं करूंगी कोई भी शिकायत तुझसे ,
क्योंकि मुझे पता है दर्द के आगोश में जीकर तू भी तो मरी ही जा रही है,
 चल आज वादा करते हैं एक दूसरे से जब तक जान है मुझ में ,
ना तू रोएगी और ना मेरी आंखें होगी कभी  नम ,
बस तू थोड़ी सी मेहरबान हो जा मुझ पर एक बार ,
मैं तो इसी उम्मीद में तुझको समेटे ही जा रही हूं।।।

              - " फुल "
     

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