Friday 6 December 2019

अल्फाज

यह लफ्ज़ भी धोखेबाजी कर रहे हैं,
 आंखों को  छलक ने का एक और बहाना दे रहे हैं ,
तूने ही कहा था हमारी आंखें तुझे बहुत पसंद है,
 तो अल्फाजों पर जाकर क्यों अपना दिल जला रहा है,
 हम भी तो ऐसे हाल में तड़प हि रहे हैं ,
जज्बातों को रोकने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं ,
क्यों हमारी आंखें और लब एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं ,
जो कभी एक दूसरे के साथ चला करते थे,
 आज एक मोड़ से अलग-अलग रास्तों पर चल दिए हैं ,
कैसे समझाऊं इन दोनों की कशमकश में हम जल रहे हैं ,
अल्फाज लबों से बयां होकर तुझे कुरेद जाते हैं ,
और हर लफ्ज़ पर सौ बार मर हम जाते हैं ,
फिर भी देख इस  हाल में भी दोनों जी रहे हैं,
 क्योंकि एक दूसरे के बगैर जीना तो दूर की बात है ,
जिस्म से रूह का निकलना भी नामुमकिन है,
 बस अब तो इन दोनों हाथों का ही सहारा है ,
जो उठकर दुआ में हम दोनों के लिए सुकून मांग रहे हैं ,
पूरी जिंदगी तेरी इबादत का वादा करते हैं ,
बदले में थोड़ी सी राहते-रहमतों का नूर मांगते हैं ।।।
   
                 - " फुल "
       

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